ISBN: 978-81-967373-9-9
Author: Dr. Kamran Wasey
Year of Publication: 2025
Page Count: 160
Binding: Hardback
Language: Hindi
Description:
प्रस्तुत पुस्तक एक बहुत महत्वपूर्ण शोध पर केंद्रित है जिसमें हिन्दी पत्रकारिता के बदलते हुए स्वरूप की चर्चा की गई है। हिन्दी पत्रकारिता के प्रादुर्भाव से लेकर वर्तमान काल तक की पत्रकारिता में हिन्दी भाषा के बनते-बिगड़ते स्वरूप को स्पष्ट करने के साथ-साथ, पत्रकारिता के कार्य-व्यवहार में आए परिवर्तन को लक्षित किया गया है कि कैसे अपने उद्भव काल में पत्रकारिता एक मिशन थी जबकि आज इसका कार्य किस तरह परिवर्तित हो गया है तथा अब यह मात्र प्रोफेशन बनकर रह गई है। हिन्दी भाषा के विभिन्न रूपों जैसे बोलचाल की भाषा, परिनिष्ठित भाषा, राजभाषा, संचार भाषा तथा अंतर्राष्ट्रीय भाषा के रूप में हिन्दी के रूप को स्पष्ट किया गया है। भाषा अभिव्यक्ति की एक सशक्त परंपरा है, और परंपरा के जीवित रहने का एकमात्र उपाय उसका गतिशील होना है। हिन्दी भाषा ने इस गतिशीलता को बरकरार रखने के लिए किस तरह से अपने समय की अन्य भाषाओं के साथ सामंजस्य बिठाया है, इसके विश्लेषण का प्रयास भी पुस्तक में किया गया है। आज़ादी के बाद की हिन्दी भाषा की संवैधानिक स्थिति, पत्रकारिता में आए विषयवार विभाजन, मिशनरहित पत्रकारिता आदि के कारणों की विस्तृत विवेचना की गयी है। भूमंडलीकरण के कारण पत्रकारिता के बदलते परिवेश में हिन्दी भाषा में आए परिवर्तनों का भी विश्लेषण किया गया है। भाषिक दृष्टि से वर्तमान पत्रकारिता में आए विभिन्न आयामों को रेखांकित करते हुए यह पुस्तक एक अलग दृष्टिकोण से पत्रकारिता के भाषाई व्यवहार को सबके सामने लाने का प्रयास है। प्रिंट, रेडियो, टेलिवीजन, व आज के इंटरनेट युग ने जिस तरह से भाषा के स्वभाव व वाक्य विन्यासों को बहुत गहरे तक प्रभावित किया है तथा तकनीक ने भाषा को भी अपने नए तकनीक गढ़ने पर विवश किया है, प्रस्तुत पुस्तक में इस पर भी विस्तृत चर्चा की गयी है।
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₹850.00Price
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