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ISBN: 978-93-93082-49-7

Author: Dr. Praveen Joshi

Year of Publication: 2023

Page Count: 302

Binding: Hardback

Language: Hindi

Description:

अधिकार शब्द फल के स्वामित्व का ही नहीं, अपितु कर्तव्य का भी वाचक है। इस दृष्टि से अधिकार और कर्तव्य परस्पर विरोधी नहीं हैं। वे तो अन्योन्याश्रित हैं, परस्पर पूरक हैं और एक-दूसरे से एकाकार भी। भारतीय दर्शन में कर्तव्य एवं मानव अधिकार की अवधारणा का अनुसन्धान करते हुए डॉं. प्रवीण जोशी ने वैदिक काल से लेकर समकालीन दर्शन तक के व्यापक परिदृश्य का साक्षात्कार किया है। भारतीय दर्शन के साथ ही पाश्चात्य विचारधारा के सन्दर्भों का तुलनात्मक परीक्षण इस अध्ययन का प्रशंसनीय पक्ष है।

Bharatiya Darshan Mein Kartavya Aur Maanav Adhikaar

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