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ISBN: 978-93-93082-98-5

Author: Dr. Santosh Kumar Yadav

Year of Publication: 2024

Page Count: 268

Language: Hindi

Description:

प्रस्तुत पुस्तक, जो कि मूलतः मेरे शोध ग्रंथ का ही एक सारांश है जिसका अध्ययन मैंने 1985-90 के दौरान किया था, उन अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं के आर्थिक योगदान का अध्ययन प्रस्तुत करती है जिन्होंने आजाद भारत की विभिन्न विकास योजनाओं में समय-समय पर अपनी सहायताओं से हमें फलीभूत किया। पुस्तक में जहाँ एक ओर आजादी के बाद से भारत की सम्पूर्ण औद्योगिक नीतियों का न सिर्फ चित्रण और वर्णन है बल्कि उनकी कमियों और उपादेयता को भी सिद्ध करने का प्रयास किया गया है। भारत ने आजादी के बाद से एक सुनियोजित तौर पर योजना आधारित अपनी विकास यात्रा प्रारंभ की और एक निश्चित अवस्था तक भरपूर सफलता भी हासिल की, इसी को दृष्टिगत रखते हुए भारत की विभिन्न पंचवर्षीय योजनाओं का भी व्यापक विश्लेषण करने का प्रयास किया है। प्रस्तुत पुस्तक के माध्यम से यह भी प्रयास किया गया है कि विदेशी सहायताओं से जहां एक ओर आसानी से आर्थिक सहायता प्राप्त की जा सकती है वहीं दूसरी ओर कर्ज का बोझ भी बढ़ा देती है। अतः इन आर्थिक कर्जों के बोझ का क्या स्वरूप होता है या क्या होना चाहिए और इससे निपटने में हमें क्या भूमिका निभानी होनी चाहिए, न सिर्फ हम, बल्कि देश की सरकारों की क्या भूमिका होनी चाहिए, को भी व्यक्त करने का प्रयास किया है।

Bharat Kee Audyogik Pragati Aur Antararaashtriya Vittiya Sansthaen

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